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A fundamental misunderstanding of depression.

Brenda Shaughnessy
Well you can actually make it go slower than 1 second per second if you …

Anonymous
changed eve to even

Some Disney Princess
I swear, didn't that happen to the Mongolian Empire lol

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NO. JUST NO. WHY. WHY DID YOU HAVE TO REMIND ME OF THIS ABSOLUTE TORTURE

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abhikesh140's Zitate

Alle Zitate

yadav - ex 4
सच तो यह है कि बड़ी संख्या में आतंकवादी गिरोहों का दारोमदार नशे के कारोबार पर ही टिका हुआ है, क्योंकि इन्हें अत्याधुनिक हथियारों की जरूरत होती है, जो वैध तरीके से इन्हें मिल ही नहीं सकते और अवैधानिक तरीकों से इन्हें हासिल करने के लिए, इन्हें बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है। इसके अलावा अपने गिरोह में शामिल करने के लिए इन्हें रोज नए-नए युवाओं की जरूरत होती है। सब्जबाग दिखाने के लिए भी जरूरी है कि पहले उन्हें कुछ धन मुहैया कराया जाए, जो किसी सही काम से नहीं प्राप्त हो सकता। अवैधानिक तरीके से बड़ी.

yadav - ex 3
धार्मिक स्थानों और पारिवारिक उत्सवों में भी, ये लोग कम ही नज़र आते हैं। हम ऐसे लोगों के अनुभवों के बारे में लगभग कुछ नहीं जानते। विकलांग ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों के बारे में तो हमें कुछ भी ज्ञात नहीं कि उनकी जिंदगी कैसी है उन्हें किन-किन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है इन शारीरिक रूप में अक्षम लोगों को अपने जीवन में विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है। गांवों में सड़कों, पेयजल के स्रोतों और स्कूल भवनों की दूरी उनके लिए मुश्किल का कारण बन जाती है।.

yadav - ex 2
माना जाता है कि शिक्षीत व्यक्ति सूचना और ज्ञान से समृद्ध होता है। इस लिए वह ज्यादा बुद्धीमान, विवेकी, निष्पक्ष, समझदार, दयालु, संवेदनशील, परवाह करने और साथ निभानेवाला, पूर्वग्रहों, पक्षपात, रूढ़ि परम्पराओं से मुक्त यानि प्रबुद्ध होता है। इतिहास ऐसे कई उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिसमें शिक्षीत और ज्ञानी लोगों ने तर्कहीन, अन्यायपूर्ण और अनुचित ढंग से काम किया, जो संघर्ष, तनाव, अन्याय, शोषण और उत्पीड़न का कारण बना। जब रोमन साम्राज्य चरम पर था, तो इटली में दास प्रथा काफी फली-फूली।.

yadav - ex 1
एक समुराई जिसे उसके शौर्य, इमानदारी और सज्जनता के लिए जाना जाता था, एक जेन सन्यासी से सलाह लेने पहुंचा। जब सन्यासी ने ध्यान पूर्ण कर लिया तब समुराई ने उससे पूछा, मैं इतना हीन क्यों महसूस करता हूं मैंने कितनी ही लड़ाइयां जीती हैं, कितने ही असहाय लोगों की मदद की है। पर जब मैं और लोगों को देखता हूं तो लगता है कि मैं उनके सामने कुछ नहीं हूं, मेरे जीवन का कोई महत्त्व ही नहीं है। रुको य जब मैं पहले से एकत्रित हुए लोगों के प्रश्नों का उत्तर दे लूंगा तब तुमसे बात करूंगा, सन्यासी ने जवाब दिया।.

आव्या यादव - संस्कृति ज्ञान 1
कहते है कि माता के चरणों में स्वर्ग होता है। तो आप ही बताईए जिसके चरणों में स्वर्ग हो वह किसी देवता से कम होगा क्या? और यदि आप किसी देवता का अपमान कर दोगे तो ईश्वर आपको क्षमा कर सकता है। नहीं है ना? इसलिए आपनी माता को ईश्वर की भाँति पूजा करों। माता-पिता कोई वस्तु नहीं होते जिन्हें समय के साथ छोड़ दिया जाए वह हमारी आत्मा होते हैं। उन्हें कभी दुःख मत देना वह आपके ईश्वर है।.

Aavya abhi - हमारी संस्कृति
यदि आप किसी गन्दे नाले के पास चलोगे तो छींटे आए या ना आए पर बदबू अवश्य आएगी, अर्थात् यदि आप किसी असभ्य, अनुचित काम करने वाले गन्दे व्यक्ति के साथ रहोगे तो उसका असर आए या ना आए पर आपके चरित्र को अवश्य गलत बना सकता है। इसलिए आपको हर गन्द चीज से बचना चाहिए। जैसे वह व्यक्ति हो या कोई वस्तु । यदि आप किसी का मृत शरीर देखलो तो आपको रात को उसका दृश्य अवश्य आएगा इसलिए गलत व अनुचित चीजों का प्रभाव भी ऐसे ही मृत शरीर के दृश्य की भाँति असर पड़ता है। अनुचित चीजों से बचो।.

Aavya abhi - Moral of yadav
"Life isn't about finding yourself. Life is about creating yourself." If one doesn't appreciate the difficulty endured by a loved one to acquire the provided comforts, then he will never value it. The most important thing is to experience the difficulty and learn to value hard work that lies behind all the given comforts.

आव्या यादव - सूचना का अधिकार
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है जहाँ प्रत्येक नागरिक को सभी प्रकार की गतिविधियों से सम्बन्धित सूचनाएँ जानने का अधिकार है। सूचना का अर्थ, किसी भी स्वरूप में कोई भी सामग्री, जिसके अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक रूप से धारित अभिलेख, दस्तावेज, विज्ञापन, ई-मेल, मत सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक, संविदा, रिपोर्ट, कागज-पत्र, नमूने, मॉडल, आँकड़ों सम्बन्धी सामग्री इत्यादि शामिल हैं, सूचना कहलाती है। आटीआई अर्थात् राइट टू इन्फॉर्मेशन जिसे हिन्दी में सूचना का अधिकार कहते हैं।.

आव्या यादव - आवश्यक शब्द
राष्ट्रीय विशिष्ट संख्या परिवर्तन वैश्वीकरण नेटवर्किंग रियलिटी आतंकवाद आन्तरिक नक्सलवाद अपमिश्रण संयुक्त-राष्ट्र-संघ गुटनिरपेक्षता भ्रूण-हत्या? प्रासंगिकता साम्प्रदायिकता "जाति-प्रथा" अन्धविश्वास सशक्तीकरण बाल-श्रम 'आरक्षण-नीति' भ्रष्टाचार! पर्यटन। औद्योगीकरण? आर्थिक सर्वशिक्षा रोजगारोन्मुखी पर्यावरणीय-प्रदूषण क्लोनिंग! प्रौद्योगिकी-विकास, ओलम्पिक संस्करण। आत्मनिर्भरता 'वृक्षारोपण' पारिस्थिकी, साहित्यिक, स्वच्छन्द-गति चिकित्सालय-स्थिति।.

आव्या यादव - गुटनिरपेक्षता
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व दो गुटों में बँट गया था। पहला गुट समाजवादी व्यवस्था के पोषक सोवियत संघ का था एवं दूसरा गुट पूँजीवादी व साम्राज्यवादी व्यवस्था के पोषक संयुक्त राज्य अमेरिका का। दोनों शक्तियों के मध्य कटुता, तनाव एवं वैमनस्य ने विश्व में भय, अविश्वास एवं तनाव का माहौल पैदा कर दिया था। इससे शीत युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई। तब दोनों महाशक्तियों ने विश्व के नव स्वतन्त्र देशों को अपने प्रभाव में लेने का प्रयास शुरू कर दिया।.